एक प्रतिबिम्ब
रात्रि के सन्नाटे में चीख़
किसी दुर्घटना की चेतना
मन-मन्दिर के दिए की लौ
एक भूकम्प
गर्भवती के अन्तिम क्षण
मृत्युदण्ड पाने वाले की
अन्तिम इछा
या फिर एक कविता।
एक प्रतिबिम्ब
रात्रि के सन्नाटे में चीख़
किसी दुर्घटना की चेतना
मन-मन्दिर के दिए की लौ
एक भूकम्प
गर्भवती के अन्तिम क्षण
मृत्युदण्ड पाने वाले की
अन्तिम इछा
या फिर एक कविता।