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एक कुत्ते की ज़िन्दगी / जोस इमिलिओ पाचेको / राजेश चन्द्र

हम घृणा करते हैं कुत्तों से,
क्योंकि वे होने देते हैं प्रशिक्षित स्वयं को
आज्ञापालन के लिए।

कुत्ता संज्ञा में
हम ही भरते हैं विद्वेष
एक-दूसरे का निरादर करने के लिए,

और घृणास्पद मानी जाती है
कोई मौत
अगर वह मौत किसी कुत्ते-सी हो।

जबकि कुत्ते देख और सुन सकते हैं
वह भी
जिसे हम देख-सुन नहीं पाते,
भाषा के बिना भी
(क्योंकि हम ऐसा मानते हैं)

उनके पास
एक प्रतिभा होती है,
जो हममें शर्तिया नहीं होती।

और कोई शक नहीं कि
वे सोचते और
समझते भी हैं
इसलिए
सम्भव है कि घृणा करते हों वे भी हमसे

कोई स्वामी ढूंढने की
हमारी आकांक्षा के लिए,
किसी ताक़तवर के प्रति
हमारी वफ़ादारी के लिए भी।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र