एक दिन
हाँ, एक दिन
वे खड़े होकर पूछेंगे :
कौन-सा रास्ता
इस नरक के बाहर जाता है
एक दिन
वे अपनी मज़बूत टांगों पर
खड़े होकर कहेंगे :
हम जा रहे हैं
एक दिन
वे तुम्हारा तख़्त
उठा कर पलट देंगे
और तुम उन्हें रोक नहीं सकोगे
(रचनाकाल : 1977)
एक दिन
हाँ, एक दिन
वे खड़े होकर पूछेंगे :
कौन-सा रास्ता
इस नरक के बाहर जाता है
एक दिन
वे अपनी मज़बूत टांगों पर
खड़े होकर कहेंगे :
हम जा रहे हैं
एक दिन
वे तुम्हारा तख़्त
उठा कर पलट देंगे
और तुम उन्हें रोक नहीं सकोगे
(रचनाकाल : 1977)