एक दिन
तुम उसे अग्नि को सौंप आओगे
जो हो सकती थी पहली पंक्ति
वह बन गई शीर्षक जैसी !
(इस संग्रह में मैं शीर्षकों के विरुद्ध हूँ)
याने सिर्फ एक क्रिया नहीं है नष्ट होना
एक दिन
तुम उसे अग्नि को सौंप आओगे
जो हो सकती थी पहली पंक्ति
वह बन गई शीर्षक जैसी !
(इस संग्रह में मैं शीर्षकों के विरुद्ध हूँ)
याने सिर्फ एक क्रिया नहीं है नष्ट होना