किधर चला है? इधर एक रात बसता जा
गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा
रुला-रुला के ग़रीबों को हँस चुका कल तक
मेरी तरफ़ से अब अपनी दसा पै हँसता जा॥
किधर चला है? इधर एक रात बसता जा
गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा
रुला-रुला के ग़रीबों को हँस चुका कल तक
मेरी तरफ़ से अब अपनी दसा पै हँसता जा॥