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ओ चिड़िया / दीनदयाल शर्मा

ओ चिड़िया तुम कितनी प्यारी ।
साधारण-सी शक्ल तुम्हारी ।।

चीं-चीं कर आँगन में आतीं ।
सब बच्चों के मन को भातीं ।।

भोली और लगतीं मासूम ।
जी करता तुमको लूँ चूम ।।

भाँति-भाँति के न्यारे-न्यारे ।
जीव-जंतु जहाँ रहते हैं सारे ।।

घर उनका हम सबको भाए ।
तभी तो चिडिय़ाघर कहलाए ।।