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शाम के वक़्त
औरत
दीया लगाती है
भगवान की तस्वीर के सामने
हाथ जोड़ती है
और बुदबुदाती है
होंठों में स्थित अँधेरे को
अपने भीतर खींच लेती है ।
मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे
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शाम के वक़्त
औरत
दीया लगाती है
भगवान की तस्वीर के सामने
हाथ जोड़ती है
और बुदबुदाती है
होंठों में स्थित अँधेरे को
अपने भीतर खींच लेती है ।
मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे