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कंतकथैया / श्रीप्रसाद

कंतकथैया चलती नैया
आओ बैठो जल्दी भैया
नैया सबको पहुँचाएगी
अभी-अभी उस पार
सर-सर-सर-सर पार करेगी
तेज नदी की धार

कंतकथैया चलती नैया
लेकर इसको चला कन्हैया
कल-कल-कल लहरों के ऊपर
चली नाचती नाच
इसमें बैठे हैं मिल करके
हम सब बच्चे पाँच

कंतकथैया चलती नैया
आई तेज लहर ओ दैया
मगर कन्हैया बड़ा चतुर है
तुरत बचा ली नाव
कितनी खुशी हुई कैसा था
भारी तेज बहाव

कंतकथैया चलती नैया
उतर-उतरकर दिया रुपैया।