Last modified on 26 नवम्बर 2017, at 15:07

कऊआ उदास था / रुस्तम

 
कऊआ उदास था।
उदास। उदास।
कऊआ उदास था।
मुझे यह तो नहीं पता कि वह क्यों उदास था, पर था वह
उदास। मैंने उसकी आँखों में एक कातर भाव देखा था।
इसमें कोई शक नहीं कि वह उदास था। कभी-कभी उसके
चेहरे पर गुस्सा चमकता था, पर फिर जल्दी ही वह फिर
उदास हो जाता था। गोरैया के बच्चे को गिद्ध की निगाह
से देखता या उसके अण्डों को तोड़कर सुड़कता, वह उदास
बना रहता था। उस वक़्त भी जब वह अन्य कऊओं से
लड़ता-झगड़ता था या छत की मुण्डेर पर काँव-काँव करता
था, यह साफ़ नज़र आता था कि वह उदास था। कभी एक
तीर की तरह वह नदी की ओर जाता था। या थोड़ी देर
किसी डाल पर शान्त बैठा रहता था। फिर उसी उदास भाव
से उड़कर अगले कई घण्टों तक ग़ायब हो जाता था।