माँ आर्द्र थी
नदी का शीतल कछार थी माँ
पिता पीली सरसों के खेत थे
जो कछार तक फैले थे
मैं मंद-पवन
मंद-पवन मैं कछार से उठा
और सरसों के पीले मुरेठों को
छूकर वापस हुआ तो
संपूर्ण कछार सुवासित हो उठा
माँ आर्द्र थी
नदी का शीतल कछार थी माँ
पिता पीली सरसों के खेत थे
जो कछार तक फैले थे
मैं मंद-पवन
मंद-पवन मैं कछार से उठा
और सरसों के पीले मुरेठों को
छूकर वापस हुआ तो
संपूर्ण कछार सुवासित हो उठा