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कजली / 50 / प्रेमघन

नटिनो की लय

पिया पिया कहाँ? न सुनाव रे पपिहरा॥
संजोगिनी मुखी सुमुखिन कहुँ, भय वियोग न जनाव रे पपिहरा॥
व्याकुल बिरही बनितन मन क्यों कहर पीर उपजाव रे पपिहरा॥
निठुर! प्रेमघन अनिकैतैं जिनि काम कटार चलावरे पपिहरा॥91॥

॥दूसरी॥

जुलमी जोबनवाँ तोहार साँवर गोरिया॥
छतियन पर अस उभरे देखौ, जैसे कोर कटार साँवर गोरिया॥
राह बाट घर बाह्र सगतौं, चलत मचावैं तकरार साँवर गोरिया॥
लगत न हाथ पसारि प्रेमघन कीने जतन हजार साँवर गोरिया॥92॥