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कबूतरों से बचने के लिए / प्रज्ञा रावत

हमारी कॉलोनी के सारे फ़्लैट्स के
खुले बरामदों में
लगवा ली गई हैं जालियाँ
कबूतरों से बचने के लिए
अब सिर्फ़ वे ही तो बचे थे
जो बार-बार जबरदस्ती
आकर बैठ जाते थे
हमारे बरामदों में
तलाशते हुए अपने लिए
महफूज़ कोना।

जोड़ी से उड़ते
जोड़ी से बैठते
एक पड़ोसी के खटके पर बैठ जाता
तो साथी उसे चिल्ला-चिल्लाकर
या शायद गा-गाकर बुला
पास बैठा लेता
हमने ये दृश्य भी अपने
जीवन से हटा दिए।

अब आस-पड़ोस में सिर्फ़
हमारा बरामदा बचा है
हम भी कल या परसों
लगवा ही लेंगे जालियाँ
उस पर दमकता काँच
कि भ्रमित हो जाएँ
कौओं और चिड़ियों की तरह ये भी
और छिप जाए अपने अन्तिम समय
तक के लिए पता नहीं कहाँ!

लेकिन हम इनसे मिलने
इन्हें दाना डालने ज़रूर जाएँगे
रेल की यात्रा कर
हवाई-यात्रा कर
कहीं किसी अभ्यारण्य में
और तब शायद बैठा पाएँ
इन सबको एफिल-टॉवर पर।