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कब आओगे खत लिख देना / चन्द्रगत भारती

बेबस दिल को तुम समझाने
कब आओगे खत लिख देना।।

प्यार किया खुद छोड़ दिये हो
मुझसे नाता तोड़ लिये हो
आशाओं का दीप जलाने
कब आओगे खत लिख देना।।

जब से तुम परदेश गये हो
सारे वादे भूल गये हो
फिर से गुलशन को महकाने
कब आओगे खत लिख देना।।

याद तुम्हारी जब आती है
आँख निगोड़ी भर आती है
इन आँखो का ख्वाब सजाने
कब आओगे खत लिख देना।।

तन मन सारा झुलस रहा है
बूंद बूंद को तरस रहा है
सावन बनकर प्यास बुझाने
कब आओगे खत लिख देना।।