चली गई ठँडी हवा
चले गए कृष्ण
बरस गए बादल
चले गए नानक
कौंध गई बिजली
चले गए महावीर
बह गया झरना
चले गए बुद्ध
फिर कब चमकेगी बिजली
न जाने कब चलेगी ठंडी हवा
फिर कब खिलेंगे फूल
मैं बैठा कर रहा हूँ इंतज़ार।
चली गई ठँडी हवा
चले गए कृष्ण
बरस गए बादल
चले गए नानक
कौंध गई बिजली
चले गए महावीर
बह गया झरना
चले गए बुद्ध
फिर कब चमकेगी बिजली
न जाने कब चलेगी ठंडी हवा
फिर कब खिलेंगे फूल
मैं बैठा कर रहा हूँ इंतज़ार।