1938 में गोरखपुर में जन्मे और पढ़े-लिखे कमलेश 1958 में ‘कल्पना’ पत्रिका के संपादन मंडल में आए। 1962 से 67 तक राम मनोहर लोहिया के निजी सचिव रहे। 1973 से 1975 तक ‘प्रतिपक्ष’ पत्रिका के संस्थापक संपादक भी रहे। 1991 से 94 तक भारत भवन के निराला सृजनपीठ के अध्यक्ष रहे श्री कमलेश अभी स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। उनका पहला काव्य संग्रह 1985 में ‘जरत्कारु’ शीर्षक से आया। 2008 में ‘खुले में आवास’ का प्रकाशन हुआ।
सन 1938 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पैदा हुए कमलेश 20 साल की उम्र से ही राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे। वर्ष 1958 में वह उस समय की चर्चित पत्रिका 'कल्पना' के संपादन मंडल में शामिल हुए। उसके बाद उनका रुझान समाजवादी विचारों और आंदोलनों की ओर बढ़ता गया। सत्तर के दशक में वह लोहिया की पत्रिका ’जन’ के संपादक बन गए थे। इसके बाद वह साप्ताहिक 'प्रतिपक्ष' के संस्थापक संपादक रहे, जिसके प्रधान संपादक जॉर्ज फर्नांडीस थे। मंगलेश डबराल, गिरधर राठी और रमेश थानवी जैसे हिंदी के कई नामी लेखक उस समय 'प्रतिपक्ष' में कमलेश के संपादकीय समूह में शामिल थे। आपातकाल के दौर में 'प्रतिपक्ष' इंदिरा गांधी की नीतियों की आलोचना और समाजवादी विचारों का एक प्रमुख मंच बन गया था।
आपातकाल के दौरान बड़ौदा डायनामाइट कांड में जेल गए कमलेश के तीन काव्य संग्रह 'जरत्कारु', 'खुले में आवास' और 'बसाव' प्रकाशित हैं। वह प्रो. मधु दंडवते, केदारनाथ सिंह, डीपी त्रिपाठी और किशन पटनायक के भी काफी करीब थे।
नाम : कमलेश
जन्म : 1938
प्रकाशित कृतियाँ : काव्य संग्रह —'जरत्कारु', 'खुले में आवास' और 'बसाव'