कवि एक,
स्थायी भाव दस,
संचारी भाव तेतीस ,
पर वह एक भाव ,
इस कदर घुस गया है
अन्तःस्थल की गहराइयों में,
कि केवल एक कविता लिखकर
नहीं मिलती उसके मर्माहत मन को संतृप्ति |
एकमात्र कविता नहीं है पर्याप्त अवरोध,
फूट पड़े सोते को रोकने के लिए |
इसीलिये वह कवि
पुनश्च और पुनश्च
उसी एक भाव पर लिखा करता है अनेकों कविताएँ |