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कविता / हरीश बी० शर्मा

कविता क्या है

मन की कल्पना
तन की अल्पना

प्रकृति के रंगों की रंजना
टेढे-मेढ़े पथरीले रस्तों पर चलता कोई अनमना

यही कवि का परिचय है