05 जुलाई 2006 को आरम्भ हुई इस अभूतपूर्व सामाजिक परियोजना ने देखते-ही-देखते चौदह वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारतीय साहित्य को इंटरनेट पर एक विश्वकोश के रूप में स्थापित करने वाली इस पहली परियोजना को यहाँ तक लाने का श्रेय उन सभी संकलित हज़ारों रचनाकारों, लाखों पाठको... और विशेषकर उन मुठ्ठीभर स्वयंसेवकों को जाता है जिन्होनें इस सपने को साकार करने में तन-मन-धन से अपना योगदान दिया।
आज कविता कविता कोश में 1,42,500 पन्नें संकलित हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान हमनें लगभग 9,500 रचनाओं को कोश में संकलित किया है। इस समय टॉप के कुछ स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं की सूची इस प्रकार है:
- अनिल जनविजय (29155)
- Sharda suman (25100)
- Lalit Kumar (17079)
- Dkspoet (9717)
- सशुल्क योगदानकर्ता ५ (7018)
- आशिष पुरोहित (6992)
- Pratishtha (6581)
- Sirjanbindu (5201)
- Rahul Shivay (5167)
- Dr. ashok shukla (3766)
- Neeraj Daiya (3063)
- Abhishek Amber (2467)
अनेक लोगों के सहयोग से प्रकाशित वर्ष 2020 का कैलेण्डर उर्दू शायरों को समर्पित रहा। इसका विशेष श्रेय Kumar Amit, शारदा सुमन और राहुल शिवाय को जाता है।
मुक्तांगन और कविता कोश मिलकर पिछले तीन वर्ष से एक मासिक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं -- ये आयोजन कविता कोश कैलेण्डर के आधार पर प्रति माह किसी एक रचनाकार को समर्पित होते हैं। इस कार्यक्रम को आयोजित करने का श्रेय विशेष रूप से Aradhana Ashish Pradhan के अलावा Rakesh-Usha Vaid और शारदा सुमन को जाता है। आराधना जी पूरे समर्पण भाव से इस सुन्दर कार्यक्रम को हर माह दिल्ली के बिजवासन स्थित उषा फ़ार्म्स में आयोजित करती हैं।
राहुल शिवाय ने पूरे वर्ष के दौरान अनेक कार्यक्रम आयोजित किए... राहुल के समर्पण और मेहनत के बारे में मैं अक्सर लोगों को बताता रहता हूँ। कविता कोश के लिए मेहनत और लगन से काम करना राहुल में इस कदर समाया हुआ है कि उसे शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए आसान नहीं है।
Sudhir Gandotra जी की सहायता से कविता कोश का सर्वर चलता रहा... पाठकों के लिए कविता कोश की उपलब्धता का सारा श्रेय सुधीर जी और उनकी टीम को जाता है।
राहुल शिवाय के सम्पादन में कविता कोश ने गुनगुनाएँ गीत फिर से के तीसरे भाग का प्रकाशन किया। इसके अलावा लगभग 175 शायरों की जीवनी और उनके चुनिंदा अश’आर को समेटे राजेंद्र नाथ 'रहबर' जी के संपादन में "शायर हमारे" नामक पुस्तक का प्रकाशन भी कविता कोश ने किया। सुकेश साहनी जी के सम्पादन में "दस्तक" नाम से एक लघुकथा संग्रह का प्रकाशन भी किया गया।
विश्व पुस्तक मेला 2020 में कविता कोश ने एक स्टॉल भी लगाया।
कविता कोश नामक सबका साझा यह सुन्दर सपना यूँ ही आगे बढ़ता रहे... हमें बताता रहे कि बड़े काम बिना किसी पारीश्रमिक / पारितोषिक के भी किए जा सकते हैं... हमें सिखाता रहे कि समाज के लिए स्वयंसेवा करना बेहतर समाज की कुंजी है।
-- ललित कुमार
निदेशक, कविता कोश