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कविता में / मोहन आलोक

कविता में
ढूंढ़नी हो यदि आपको
कोई गहरी चीज

तो कमीज
उतारो और लगाओ उस में
एक डुबकी

डुबकी,
तो आपको आएगी
जब आप की गर्म-मिजाज देह
कविता के
ठण्डे पानी में जाएगी ।
पर डूबो आप
जितनी देर डूब सकते हो
इस ताल में
सांस रोक कर कपाल में,
और जाते रहो
शब्दों की श्रृंखला पकड़ कर
गहरे
गहरे
और
गहरे,
कि आपको वापिस निकलने का
ध्यान ही न रहे
और आपका मन
आप कविता में हैं
यह भी न कहे ।

अनुवाद : नीरज दइया