वेश्याओं के ऊँचे पलंग हैं, या जली हुई
लकड़ियाँ । कहीं जगह ख़ाली नहीं है गज़
भर, जहाँ बैठ कर लिखी जा सके गीता,
या गीतांजलि। ऊँचे पलंग हैं, या रसोई
घर की जली हुई लकड़ियाँ हैं ।
वेश्याओं के ऊँचे पलंग हैं, या जली हुई
लकड़ियाँ । कहीं जगह ख़ाली नहीं है गज़
भर, जहाँ बैठ कर लिखी जा सके गीता,
या गीतांजलि। ऊँचे पलंग हैं, या रसोई
घर की जली हुई लकड़ियाँ हैं ।