Last modified on 28 अगस्त 2014, at 16:38

क़ातिल / पीयूष दईया

स्त्रियों से छल करना सीखना चाहिए
                             --चाणक्य

एक रूपसी से रसकेलि करते हुए
मेरे हाथ प्यार के सिवाय कुछ न लगा
सो मैं पलट आया

मरदाने तरह से
वक़्त को अपनी जेबों में डाले
आज़ाद

मेरी कल्पना में क़ातिल कला है
ख़़ूबसूरती