Last modified on 23 मार्च 2013, at 12:46

कामना / अनीता कपूर

आत्म-मुग्धा औरत
करवट बदल
लेती है जन्म रोज़
नई दुनिया में

पंख फड़फड़ाती औरत
उड़ना चाहती है
दुनिया की
सबसे लंबी उड़ान
आत्म-बल के सहारे

अभिसार की चाह में
खुद को सजाती है
बार-बार

आईने के अक्स पर
मौजूद है किसी की पहचान
माथे पर उग आता है
हर अमावस को छोटा नन्हा चाँद

नायिका का सच
गुम हो जाता है अँधेरा
अभाव का
जाग उठी है
कामना
उस आत्म-मुग्धा
औरत की