Last modified on 24 अप्रैल 2011, at 14:00

कारण-करण / केदारनाथ अग्रवाल

गेहूँ में गेरुआ लगा,
घोंघी ने खा लिया चना,
बिल्कुल बिगड़ा, खेल बना।

अब आफत से काम पड़ा,
टूटा सुख से भरा घड़ा,
दिल को धक्का लगा बड़ा।

जमींदार ने कहा करो,
सब लगान अब अदा करो,
वरना जिंदा आज मरो।

जोखू ने घर बेंच दिया
रूपया और उधार लिया
खंड-खंड हो गया हिया।

विधि से देखा नहीं गया,
जोखू बाजी हार गया
लकवा उसको मार गया।

रचनाकाल: १०-०८-१९४६