इनका पूरा नाम कालीदास त्रिवेदी है. ये अंतर्वेद के रहने वाले कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे.इनका विशेष वृत्त ज्ञात नहीं है.जान पड़ता है कि संवत् १७४५ वाली गोलकुंडे की चढ़ाई में ये औरंगजेब की सेना में किसी राजा के साथ गए थे. कालीदास का जम्बूनरेश जोगसिंह के यहाँ रहना भी पाया जाता है जिसके लिए इन्होंने १७४९ में 'वर-वधू-विनोद'बनाया. बत्तीस कवित्तों कि एक छोटी सी पुस्तक 'जन्जीराबंद' भी है. 'राधा-माधव बुधमिलन विनोद' नाम का एक ग्रन्थ भी खोज में मिला है. इनका बड़ा संग्रह ग्रन्थ'कालीदास हजारा'बहुत प्रसिद्ध है. इस ग्रन्थ के बारे में 'शिवसिंहसरोज' में लिखा है कि "इसमें संवत् १४८१ से लेके संवत् १७७६ तक के २१२ कवियों के १००० पद्य संग्रहित है. कवियों के काल आदि के निर्णय में यह ग्रन्थ बड़ा उपयोगी है."