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काल-नक्षत्र / अमृता भारती

तुम
उस एक नक्षत्र को
त्रिशूल की नोक पर उतारना
जिसमें
ठहरी हुई है
जगत् की रात्रि
मेरी चन्द्रकला
शिव की प्रलयांकित नृत्यमुद्रा

तुम
उस एक नक्षत्र को
मेरे माथे पर टाँकना
ताकि मैं उधेड़ सकूँ
तुम्हारी भौहों का अन्धकार
स्फटिक देह का नील चिह्न
चैतन्य आकाश का एकाकी अन्धकार

तुम
उस एक नक्षत्र को
मेरे माथे पर टाँकना

उस काल-नक्षत्र को ।