गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 13 अगस्त 2008, at 23:27
किरण / महेन्द्र भटनागर
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
महेन्द्र भटनागर
»
मधुरिमा
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
उतरी रही प्रमोद से
अबोध चंद्र की किरण !
समस्त सृष्टि सुप्त देखकर,
रजत अरोक व्योम-मार्ग पर
समेट अंग-अंग
वेगवान रख रही चरण !
विमुक्त खूँदती रही निडर
हरेक गाँव, घर, गली, नगर,
न शांत रह सकी ज़रा
न कर सकी निशा-शयन !