Last modified on 30 मार्च 2018, at 22:10

किसान / रामविलास

उगलन सुरुज देब हो गेलइ बिहान हो आहो,
जोरा बैल साथे लेले चलनन ईसान हो आहो ।

एगो हरनारा, एगो पालो आ हेंगाँ
दूगो जाबी, दूगो बरही तनिका गो ठेंगाँ
कान्हा पर उठएले किस्मत लिखे के सामान हो, आहो
जोरा बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।

जोतलन अफार खेत बित्तो भर न छोड़लन
एक-एक ढेला-ढेली हेंगाँ से फ़ोरलन
केतनो अंगार बरसो कामे पर धेआन हो, आहो
जोरा बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।

पीसलन सतुआ धनी मकई उलाई
थरिआ में ललन आरओ नून मिरचाई
चललन, हकासल होएतन भुक्खे भगवान हो, आहो
जोरा बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।

लथपथ पसेना से गमछा आ धोती
गत्तर-गत्तर से चूए मेहनत के मोती
दूरे से देखइते हंसलन आएल हल्पान हो, आहो
जोरा बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।

एक हाथे थरिआ दोसर बालटी में पानी
मन में सौ सेहंता सौ-सौ दुख के कहानी
देखइत धनिआं के भागल सब थकान हो, आहो
जोरा बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।

पाबे पनपिआइ बलमा धनि बतिआए
बिस्नु लछमी एहे हतन मन पतिआए
कवि रामविलास भरतन एहे जग में धान हो, आहो
जोर बैल साथे लेले चललन किसान हो, आहो ।