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किसी को जिंदगी में / रंजना वर्मा

किसी को ज़िन्दगी में ग़र किसी से प्यार हो जाये
तो उसकी ज़िन्दगी हर रोज़ ही त्यौहार हो जाये

ज़रूरत ही नहीं उसको किसी सौंदर्य साधन की
पलट कर देख ले साजन सहज सिंगार हो जाये

ये काजल, चूड़ियाँ, पायल बहाने हैं मुहब्बत के
सभी बेकार हैं उल्फ़त का जो इक़रार हो जाये

फ़िज़ाएँ महकतीं खामोशियाँ भी गा रहीं गाने
चमन यह ज़िन्दगी का खुद ब खुद गुलज़ार हो जाये

सुनहरा ख़्वाब बन उभरे कभी बेख़्वाब आँखो में
कभी खुद से ही जैसे बेसबब बेज़ार हो जाये

पिया ग़र रूठ कर घर के किसी कोने में जा बैठे
छनक जायें ज़रा बिछुए मधुर मनुहार हो जाये

मिले ग़र प्यार का मोती सहेजो दिल की सीपी में
मगर इतनी वफ़ा रखना न दिल बाज़ार हो जाये