कुछ करने से क्या होता है सच कहता है
इंसान मुक़द्दर का लिखा सहता है
इंसाफ़ और मुंसिफ तक बिक जाते हैं
ईमान की रग रग से लहू बहता है।
कुछ करने से क्या होता है सच कहता है
इंसान मुक़द्दर का लिखा सहता है
इंसाफ़ और मुंसिफ तक बिक जाते हैं
ईमान की रग रग से लहू बहता है।