Last modified on 29 सितम्बर 2010, at 12:03

कुल / लीलाधर मंडलोई


बार-बार कुचले जाने पर भी
खड़ी होकर

अपने होने की घोषणा करती है
जैसे दूब

हम उसी कुल के हैं