त्रयोदशी के चाँद सा
तुम्हारे जीवन में मैं
संयोग की तरह घटित हुआ ।
और समझ सका
कि अंकों के विषम अवकाश के बीच
भाषा के सीमान्त पर
फूल खिलाने का समय
आ गया है ।
त्रयोदशी के चाँद सा
तुम्हारे जीवन में मैं
संयोग की तरह घटित हुआ ।
और समझ सका
कि अंकों के विषम अवकाश के बीच
भाषा के सीमान्त पर
फूल खिलाने का समय
आ गया है ।