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कौन विजयी है / त्रिलोचन

कौन विजयी है जगत में कौन हारा है


उषा आती है

प्रभा गाती है

कहाँ यह संध्या

लिए जाती है


उषा संध्या दो लहर है एक धारा है


पता गिरता है

विवश फिरता है

फूल खिलता है

कहाँ स्थिरता है


यह विवर्तन साँस में है कारा है


तिमिर ले आए

अमा छा जाए

उसी की राका

और कर जाए

अमा राका की सखी, है, सहारा है


वहा चलती है

सुरभि पलती है

इस तरह क्रमशः

साध फलती है


प्राणमय संबंध जीवन गान सारा है

(रचना-काल - 02-11-48)