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क्रान्तिकारी / रामधारी सिंह "दिनकर"

क्रान्तिकारी मैं जवानी भर न हो पाया,
सिर्फ इस भय से, कहीं मैं भी बुढ़ापे में
क्रान्ति में फँसकर न दकियानूस हो जाऊँ।