हमारी पीठ पर
क्रूरता के चाबुक से बोई
ज़ख़्मों की फ़सल को
लहलहाते देख
वे हंस रहे हैं
और हम...
हर घाव की ख़ुशबू में उपजे
विद्रोह को देखकर
आश्वस्त हैं
कि आनेवाले समय में
ख़ुशी से मना पाएँगे हमारे बच्चे
हमारी पीठ के इतिहास पर खिले
क्रान्ति-पुष्प के त्योहार ।