Last modified on 5 फ़रवरी 2009, at 11:49

क्षणिकाएँ / रंजना भाटिया

  



1. गूंगी

मेरी आवाज़
अब ख़ुद
मुझसे
पराई हो गयी है

इस भीड़ भरी दुनिया में
बेजान-सी हो कर
ख़ुद को ही
गूंगी कहती हूँ !!