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खटमल / विद्याभूषण 'विभू'

चौंक पड़ा,
हुआ खड़ा,
ओ हो काट रहा खटमल!

पकड़ लिया,
जकड़ लिया,
अब डालूँगी, तुझे मसल!

पता नहीं,
छिपा कहीं,
चुटकी से चट गया निकल!

-साभार: लो खिलौने’, सं. जयप्रकाश भारती