गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 18 सितम्बर 2017, at 18:55
खानदान / गुरेश मोहन घोष
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
गुरेश मोहन घोष
»
गुमार
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
हुनी बिनां टिकट पकड़लोॅ गेलै।
हाकिम केॅ कहलियै-
हिनी-बड़का खानदानोॅ के लोग छेकै,
छोड़ी दियै।