Last modified on 18 जुलाई 2023, at 17:36

खोइंछ / दीपा मिश्रा

पहिल बेर जखैन
बियाहक बाद बेटी
सासुर जाइए
गोसाउनिक समक्ष
माए पितामही हुनकर
पहिल खोइंछ
भरैत छथि त'
भरिसके कियो एहन
हेतैथ जिनका
नै कनाइत छन्हि
इहा ओ क्षण होइए
जखैन माएकेँ
आभास होइत अछि
जे बेटी हरदम लेल
एहि अंगनाकेँ छोड़ि
दोसर अंगनाकेँ अपनाबऽ
जा रहल अछि
आँचर पसारने बेटी
पुक्का फारि कनैत रहैये
आ माए खोंइछमे
भगवतीकेंँ साक्षी राखि
बेटीक सुखमय आ
समृद्ध जीवनक लेल
ललका धान
ओकर रक्षा लेल दूबि
सासुरमे ओकर
मानक प्रतिष्ठा लेल अशर्फी
गौरीक प्रतीक सुपारी
उत्तम स्वास्थ्य लेल हरैदक गांठ
सूपसँ आंजुरमे उठा उठा के
दैत जाइत छथि आ मोने मोन
जीवन भरि ओकर
सोहागक रक्षाक लेल
प्रार्थना करैत रहैत छथि
खोंइछकेँ सम्हारिकेँ
नीकसँ बांहि दैये
जे कोनुहुना खुजि नै जाए
सासुरसँ अएबा काल
धान चाउर बनि जाइए
बेटीक कर्मक प्रतीक
जे ओ कुटि अनलक ओ धान
सासुरक कर्म भूमिमे
नै बैसल रहल एको छन खाली
खोंइछ झाड़ि
थाकल बेटीकेँ
पटिया पर बैसाकेँ माए
पाइर ओंगारि दैये
बेटी सूप पर झाड़ल
खोंइछ दिसि
टकटकी लगा देखैत अछि
ओकर जीवन मात्र
दुनू परिवारक बीच बान्हल
खोइछकेँ जीवन भरि
सम्हारबत रहि जाइए