♦ रचनाकार: अज्ञात
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खोय देत हो जीवन बिना काम के, भजन करो कछु राम के।
जी बिन देह जरा न रुकती,
चाहो अन्त समय में मुक्ती
ऐसी करो जतन से जुक्ती,
ध्यान करियों सबेरे न तो शाम के। भजन...
लख चौरासी भटकत आये,
मानुष देह कठिन से पाये,
फिर भी माने न समुझायें,
गलती चक्कर में फंसे बिना राम के। भजन...
ईश्वर मालिक से मुंह फेरे,
दिल से नाम कभऊं न टेरे,
वन के नारि कुटुम्ब के चेरे,
कोरी ममता में फंसे इते आन के। भजन...
छोड़ो मात पिता और भ्राता,
जो हैं तीन लोक के दाता,
करियो उन ईश्वर से नाता,
क्षमा करिहें अपराध अपना जान के। भजन...