Last modified on 3 अगस्त 2012, at 16:19

गंगा-कूल सिराने / अज्ञेय

 गंगा-कूल सिराने ओ लघु दीप-
मूक दूत से जाओ सिन्धु समीप!

ढुलक-ढुलक! नयनों से आँसू-धार!
कहाँ भाग्य ले उन के पाँव पखार!

लाहौर, 1935