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गदर / शिवनारायण / अमरेन्द्र

अइयो फेनू गणेशी पासवान केरोॅ आँख
लकी रहलोॅ छै
जरूरे कोय बहशी-दरिन्दा
गाँव के कोय्यो मासूम बच्ची केॅ
आपनोॅ पंजा सें लहुबैलेॅ होतै
आकि जमीन्दारोॅ के लठैतें
फसल लूटी गेलोॅ होतै
आकि फेनू
खलिहाने में कामकाजू औरतें साथें
करलेॅ होतै जमीन्दारैं
दिन दहाड़ै जोर-जबरदस्ती।

जबेॅ भी हेनोॅ घटना होय छै
गणेशी पासवान के निम्मर आँखी में
लुत्ती उड़ेॅ लगै छै
मतरकि हर दाफी ओकरोॅ भीतरिया विरोध
नतीजा पावै सें पहिलें चुकी जाय छै
भीतरिया आग बुझी जाय छै
मान-अपमान के पराँटोॅ में पड़ी।

गणेशी पासवान रोॅ दिल
गंगा रोॅ निर्मल धार छेकै
जेकरा में सौंसे गाँव रोॅ
धुकधुकी बहै छै
समुन्दर नाँखि ओकरोॅ आँखी में
दबलोॅ-कुचलोॅ के तकदीर केरोॅ
ज्वार उपटैतेॅ रहै छै।

आरो आन गाँव नाँखि
ओकरो गाँव ठो, गामोॅ रोॅ इज्जत
जमीन्दारे के कब्जा में छै
कि हठासिये एक दिन सब्भैं सुनलकै
बघार में साग तोड़तें
गाँव के कहारिन रमिया
बाभन जमीन्दारोॅ के शिकार बनी गेलै
रमिया तेॅ खूनोॅ सें लथपथ
नाँगटिये ऐली छेलै गणेशी के दुआरी तांय
आरो ओकरोॅ कचोटलोॅ मोॅन
फेन एकटा गदर बनी गेलोॅ छेलै।

आजो फेनू
गणेशी पासवान के आँख लहकी रहलोॅ छै
जेकरोॅ मनोॅ में रहै एकटा विकट भीतरिया द्वन्द्व
कि दोसरे दिन भोरे-भोर
गामोॅ में कोहराम मची गेलै
कि गणेशी ऊ जमीन्दारोॅ के मूड़ी
घोॅड़ सें अलग करी देलकै
जौंनें रमिया के देहोॅ पर रमण करनें छेलै
गणेशी के आँख
आबेॅ सवाल नै
जबाब उगली रहलोॅ छेलै।
सदियो सें पीड़ित ओकरोॅ आवाज
जमीन्दारी दरिन्दगी रोॅ खिलाफ
लड़ाय के ऐलान बनी गेलै।

सौंसे गाँव खौली रहलोॅ छेलै
कि एक दिन हठासिये
जमीन्दारोॅ के जमातें
गणेशी के गाँव केॅ रेती देलेॅ छेलै
दर्जनो जनानी-मरद-बुतरु मारलोॅ गेलै
आरो
आपनो लड़ाय के असकल्लेॅ मसीहा
गणेशी पासवान
नया जमीन्दारोॅ के तलवारोॅ सें
टुकड़ा-टुकड़ा होय
परती-पराँट में बिछी गेलोॅ छेलै।

ओकरोॅ गरम लहू सें पटैलोॅ
परती-पराँट सें
कै किसिम के वास उठेॅ लागलै
कभियो अरवल केरोॅ गंध
कभियो कंसारा दलेलचक रोॅ
तेॅ, कभियो बघौरा के।
जे शोषण के खिलाफ
एकटा आन्दोलन के शुरुआती लेॅ
गणेशीं ई गदर छेड़लेॅ छेलै
ऊ परवान पावै रोॅ पहिलैं
कहीं भुसखारी में दबी गेलोॅ छै।