Last modified on 30 अप्रैल 2011, at 22:21

गर्मी की ऋतु ऐसी/रमा द्विवेदी


गर्मी की ऋतु ऐसी
जिसमें साजन भये विदेशी
सारे ए.सी. बन्द पड़े
कैसे कैसे समय कटे।

तन जलता
मन बहुत मचलता
दिन निकले कैसे
शुष्क नदी में
मीन तड़पती
बिन पानी जैसे
ताल तलैया सूख गए हैं
पोखर सब सिमटे।

अंगिया उमसे
बिस्तर चुभता
तन तरबतर हुआ
कहाँ जायें है पीछे खाई
आगे मुआं कुआं
सब सोलह शृंगार व्यर्थ ही
टप टप टप टपके।
कैसे कैसे समय कटे।