इस समंदर का मुझे
साहिल नज़र आता नहीं
वीरान है कबसे शहर
कोई बशर गाता नहीं
दूर तक फैला अन्धेरा
कुछ नज़र आता नहीं
जो वक्त पीछे रह गया
वो लौट कर आता नहीं
2005
इस समंदर का मुझे
साहिल नज़र आता नहीं
वीरान है कबसे शहर
कोई बशर गाता नहीं
दूर तक फैला अन्धेरा
कुछ नज़र आता नहीं
जो वक्त पीछे रह गया
वो लौट कर आता नहीं
2005