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ग़ज़ल-5 / मुकेश मानस



बारिश की पहली-पहली फ़ुहार की तरह
मिले हो तुम हमें बहार की तरह

कहाँ थे अब तलक हमको मिले नहीं
हम ढूँढते थे तुमको, बयार की तरह

हमको कभी किसी से यूँ इश्क ना हुआ
तुम हो हमारे पहले प्यार की तरह

जबसे मिले हो अपनी नींद उड़ गई
आओ हमारी आँख में करार की तरह
2007