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गीत गाएँ / एस. मनोज

प्रेम की सरिता बहाएं
बाग वन में गीत गाएं
सुरभि सुषमा हो सुमेलित
भ्रमर सारे गुनगुनाएं
राग औ रंगीनियों की
एक नई बगिया सजाएं
कला साधक हों सभी जन
कला की फैले लताएं
आओ सब मिल एक सुर में
क्रांति पथ के गीत गाए।