गुंजन (कविता का अंश)
रोवेगी कवि के चुम्बन से,
अब सानन्द हिमानी।
फूट उठेगी अब गिरि- गिरि के,
उर की उन्मद वाणी।
(गुंजन कविता से )
गुंजन (कविता का अंश)
रोवेगी कवि के चुम्बन से,
अब सानन्द हिमानी।
फूट उठेगी अब गिरि- गिरि के,
उर की उन्मद वाणी।
(गुंजन कविता से )