मैंने रक्खी हुई हैं आँखों पर तेरी ग़मगीन-सी उदास आँखें जैसे गिरजे में रक्खी ख़ामोशी जैसे रहलों पे रक्खी अंजीलें एक आंसू गिरा दो आँखों से कोई आयत मिले नमाज़ी को कोई हर्फ़-ए-कलाम-ए-पाक मिले