तुम्हारे भीतर
और भीतर
उतरने की चाह
अब भी जिंदा है
कब तक रहोगी
किनारों से लिपटी तुम
एक दिन तुम्हें
जब छोड़ कर किनारे
बीच भंवर में
आना ही होगा
अपनी जिंदगी ढूँढने।
तुम्हारे भीतर
और भीतर
उतरने की चाह
अब भी जिंदा है
कब तक रहोगी
किनारों से लिपटी तुम
एक दिन तुम्हें
जब छोड़ कर किनारे
बीच भंवर में
आना ही होगा
अपनी जिंदगी ढूँढने।