चेहरे पर नहीं
दुख है भीतर विशाल
तुम्हें ब्याह के
छोड़ दिया उसने
रोती भी नहीं
गुड़िया हो तुम !
भीतर से गीली हो
फिर क्यों हो
बाहर एकदम सूखी ?
चेहरे पर नहीं
दुख है भीतर विशाल
तुम्हें ब्याह के
छोड़ दिया उसने
रोती भी नहीं
गुड़िया हो तुम !
भीतर से गीली हो
फिर क्यों हो
बाहर एकदम सूखी ?