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गुड़िया / शीन काफ़ निज़ाम

वो लड़की अब ख़ुदा जाने कहाँ है
वो लड़की
जिस ने अपनी
नन्हीं गुड़िया हाथ में देकर
कहा था मुझ से
लो कुछ देर तुम इस को संभालो
मैं ज़रा बाज़ार जा कर
दूध मक्खन और केले ले के आती हूँ
तुम्हारे वास्ते भी कुछ न कुछ
मैं लेती आऊँगी

मुझे मालूम है
तुम को सफ़र पर दूर जाना है
मुझे मालूम है
सर में तुम्हारे दर्द होता है
मुझे मालूम है
तन्हाई में तुम डरने लगते हो
मुझे मालूम है सब कुछ तो अब तुम कहने वाले हो
यकीं रक्खो कि मैं बस यूँ गईं और यूँ आईं
मैं अपने सहन में गुड़िया लिए
चुचाप बैठा हूँ
सितारे शब् के दामन में गिरे जाते हैं
उफ़ुक़ पर सुबह की सुर्ख़ी
नुमायाँ होने वाली है
अभी एकाध पल में सारी बस्ती जाग जायेगी